lyrics shiv chalisa Fundamentals Explained
lyrics shiv chalisa Fundamentals Explained
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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
मोहिः संभ्रान्तः स्थित्वा शान्तिं न प्राप्नोत्।
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
न कश्चित् पुत्रस्य वंचनं कर्तुम् इच्छति।
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
अर्थ: हे प्रभू आपने तुरंत click here तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
O Glorious Lord, consort of Parvati You're most merciful . You mostly bless the very poor and pious devotees. Your gorgeous sort is adorned with the moon on the forehead and on your ears are earrings of snakes’ hood.